केवल श्रीकृष्ण के हो शरण में रहना है-जैसे अर्जुन... सोया रहा जब मिषम पितामह ने पाड़बों में किसी एक का वद्ध + with दुर्योधन को अखण्ड सौभाग्य वाती चिन्ता नहीं करनी - संसार में Duty करनी है - कत्ती पन का अधिकार त्यागने से ही - On this. of our ratio of शरणागति रूस जीव का योग (क्षेम बस्न करते है- हमें क ताप्न का अहंकार |
त्याना है < Predice it again and youn Remember चिता तो केवल सुत शरीर को जलाती है Whereas जबकि चिन्ता जीवित मनुष्य को ही जला fou चिन्ता most dangerous देती |
कृपालु इस अन- होनी हो ही नहीं सकती और होनी को कोई टाल नहीं सकता। फिर क्यों चिन्ता करते हो
अपने जीवन की डोर श्री उष्ण के हाथों में सौंप दाउन्ने, प्रारंणागता संसार में केवल कहि पातुन क्रो, करो स्वय का कही न माना + अपने गौतर कालीपन को अभिमान सर जैसे राह ऐऐसा होने पर कम बन्दान होता जाएगा गीता बात बनेगी नहीं गलित, निगड़ती जायगी
सही प्रशरणागति शरडा में जाना - केवल श्रीकृष्ण भगवान का ही आश्रय हा (अन्ना भी बाप गाई पहन अति पनिन को बाहर निकाल देना | श्रीकृष्ण का बल ही खदैन
साथ रहे-वस । अपने को श्री कृष्ण को सौंप देना है। अपनी व डोरी उनके हाथ देकर निছिন हो जाना है।
ga केवल भगवान का ही आश्रय हे केवल उन्के काल का ही हृदय में रखना